छिंदवाड़ा जिले में लगे, एक ही दिन 2 मेले… एक में बह रहा था खून-दूसरे में आस्था की गंगा…

स्टेड डेस्क/छिंदवाड़ा ब्यूरो- पोला पर्व के दूसरे दिन नेशनल ओर रीजनल मीडिया पर छिंदवाड़ा जिला खूनी गोटमार मेले को लेकर दिनभर सुर्खियों में रहता है, और इस मेले से हर कोई वाकिफ है, कि यहां आस्था के नाम पर किस तरह से खून बहाया जाता है..? सैकड़ों लोगों को जख्मी किया जाता है..? तो कई लोगों की जान पर बन आती है, यही नहीं मौत भी हो जाती है…?

फिर ऐसे में सवाल उठता है यह कैसी आस्था..? यह कैसी परंपरा..? लेकिन ठीक इसके विपरीत छिंदवाड़ा जिले में एक और मेला आयोजित होता है… जिसकी चर्चा कहीं नहीं होती. लेकिन आज हम आपको उस मेले से रूबरू कराने जा रहे हैं,,,

जहां आस्था के नाम पर खून नहीं, बल्कि आस्था और आनंद की गंगा बहती है… जहां लोग सुख समृद्धि स्वास्थ और बीमारियों से मुक्ति के लिए नारियल कुमकुम से पूजा करते हैं. यहां ना किसी के ऊपर पत्थर की बारिश की जाती है, ना ही किसी को घायल किया जाता है. यहां खून की नदी नहीं बहती…?

जी हां, खूनी संघर्ष वाले गोटमार मेले की जानकारी सभी को है यह मेला प्रतिवर्ष पोला के दूसरे दिन पांडुरना की जाम नदी के तट पर आयोजित किया जाता है. जिसमें हजारों लोग पहुंचते हैं, पूरा प्रशासन दल बल सभी यहां मौजूद होता है. हर साल सरकार इस मेले के आयोजन के दौरान लाखों रुपए खर्च करती है. प्रशासन के हजारों नुमाइंदे यहां तैनात होते हैं. इतना सब कुछ होता है लेकिन अंत में सार यह निकलता है कि सैकड़ों लोग बुरी तरह जख्मी होते हैं और कुछ की ईहलीला समाप्त हो जाती है.. सबको पता है छिंदवाड़ा में आज के दिन यह मेला आयोजित होता है, लेकिन कई लोगों को पता नहीं है कि एक मेला छिंदवाड़ा से लगभग 5 किलोमीटर दूर स्थित गुरैया देव में भी लगता है. जहां खून नहीं, बल्कि आस्था की गंगा बहती है.

यहां आनंद के साथ पूरे परिवार के लोग अपने बच्चों को साथ लिए पहुंचते हैं और बच्चों की लंबी उम्र सहित परिवार की सुख समृद्धि स्वास्थ्य के लिए पूजा अर्चना करते हैं. आपको बता दें यह पूजा विशेष रूप से आज के ही दिन की जाती है.

गौरतलब हो कि इस गुरैया देव को कई लोग बड़ागा देव के नाम से भी जानते हैं. बुजुर्गों का कहना है कि इस मेले में दूरदराज के गांव से लोग आते हैं और मन्नत करते हैं कि परिवार में सुख शांति बनी रहे. प्रतिवर्ष सैकड़ों लोग यहां पहुंचते हैं. जब हमने कुछ बुजुर्गों से बात की तो उन्होंने बताया कि साल में एक बार आज ही के दिन यहां मेला लगाया जाता है और लोग यहां पर अपनी आस्था लेकर आते हैं. पूजा पाठ करते हैं. बुजुर्गों का कहना है कि लोगों को कोई पुरानी बीमारी ना हो, इसलिए अपने परिवार के साथ लोग यहां पर पूजा करने आते हैं और यह मेला वर्षों से लग रहा है…

छिंदवाड़ा से कन्हैया विश्वकर्मा की एक्सक्लूसिव खबर