बचपन की कहानियां मंच पर हुईं पुनजीर्वित…

40 दिवसीय कार्यशाला का भव्य समापन

स्टेट डेस्क/छिंदवाड़ा – व्याकरण भाषा को सुगम बनाने के लिए होती है ना कि क्लिष्ट और उसी प्रकार शास्त्रीयता का काम संगीत को सुगम बनाने के लिए होता है ना कि कठिन। कलाएं जीवन की कठिनाइयों को सरल बनाने के लिए होती है। ना कि उसे और कठिन बनाने के लिए। रविवार 11 जून को नाट्यगंगा रंगमंडल के द्वारा प्रस्तुत नाटक बालभारती के प्रदशर्न को देखकर यही लगा कि बात में दम हो तो सीधे और सरल तरीके से भी कही जा सकती है। और बच्चों से ज्यादा सीधा,सरल और पवित्र क्या हो सकता है। इसीलिए तो कहते हैं कि बच्चों में खुदा का नूर होता है। प्रस्तुति देखकर यही लगा कि हमें जीने का तरीका सिखाने मंच पर स्वयं ईश्वर उतर आये थे। दशर्कों ने नाटक नहीं बाल लीलाएं देखीं थी।

जिले की अग्रणी नाट्य संस्था नाट्यगंगा रंगमंडल ने 40 दिवसीय नाट्य कायर्शाला का आयोजन किया था। रविवार 11 जून को उसका दीक्षांत समारोह था, जिसके उपलक्ष्य में एक नाट्य प्रस्तुति बालभारती का मंचन किया गया। विदित हो कि इस कायर्शाला में नए पुराने लगभग 80 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया था। जिसमे बच्चे और बड़े सभी उम्र के प्रतिभागी थे। नाटक की कथावस्तु बचपन में पढ़ी पाठ्य पुस्तक बालभारती में प्रस्तुत कहानियों और कविताओं का कोलाज है। नाट्य निर्देशक सचिन वर्मा ने ही इसका नाट्यालेख तैयार किया था। सभी कहानियों को इतनी सुंदरता से जोड़ा गया था कि दर्शक इसमें डूब से गए। सभी कलाकार नए थे अधिकांश ने पहली बार ही मंच पर कदम रखा था। फिर भी वे इतने सहज थे कि ऐसा लगा कि इसी मंच पर ही वे पले बढ़े हैं। और यही कायर्शाला और उसको संचालित कर रही टीम नाट्यगंगा  की सफलता है। बालभारती ,पंचतंत्र और हितोपदेश की कथाएँ बड़े बड़े धमर्ग्रंथों के गरिष्ठ उपदेशों से कहीं ऊपर हैं क्योंकि यह बहुत सरल ,ग्राह्य ,सुपाच्य और व्यवहारिक हैं। नवोदित कलाकार अमित सोनी के द्वारा लिखित गीतों ने प्रस्तुति में चार चांद लगाए हैं। जिनका मार्गदर्शन अमजद खान ने किया। वहीं आयार् भारती के निर्देशन में किए गए नृत्यों ने नाटक को गति प्रदान की। नाटक का सहनिर्देशन दानिष अली, अषिर्ल चिचाम, हर्ष यादव, प्रखर साहू और फैजल कुरैशी ने किया। वित्त व्यवस्था नीरज सैनी और सुवर्णा दीक्षित ने संभाली और मंच सामाग्री का सुंदर निमार्ण मानसी मटकर और सौम्या दीक्षित ने किया। बैठक व्यवस्था पंकज सोनी, वैशाली मटकर, नितिन वर्मा, ऋषभ शर्मा, संजय औरंगाबादकर और ओषिन धारे ने की। मंच व्यवस्था स्वाति चौरसिया, विनोद प्रसाद ग्यास, अंकित खंडूजा ने संभाली।

इन कलाकारों ने किया अभिनय

प्रभदीप सिंग, आयुषी जैन, अनर्व परमार, नमन साहू, देशा मालवी, तुहिना जगदेव, मुदित गुन्हेरे, अवनि सोनी, आकाश घोरमारे, सनाया बुधराजा, हेमंत नांदेकर, रूपेष डेहरिया, नभ बचले, वत्सल वर्मा, सुहानी लांजीवार, हर्ष डेहरिया, सौरभ मालवीय, वरेण्यम् नागले, विभा सोनी, श्रुति आरोणकर, पुष्पराज ठाकरे, विनीत वर्मा, अनुष्का चौरसिया, अन्वेषा मंडल, अदितांश चौरसिया, श्रेया वर्मा, आयार् शुक्ला, रिया सूयर्वंशी, साथर्क सूयर्वंशी, तीथर् तिवारी, वंशिका चौरसिया, कातिर्क नेमा, विदूषी नागले, अक्षदा देशपांडे, सारा फातिमा, समथर् मालवी, तनय राजपूत, नित्या मालवी, अबीर वर्मा , अनुष्का पाठक, कणर्वीर सिंग राजपूत, अक्षदा साहू, ओशिका चौधरी ने इस नाटक में शानदार अभिनय किया।

नतर्क दल
अश्मि सोनी, नियति शिवकर, सिद्धि घाघरे, अनन्या पाठक, पूणिर्मा नेमा, शांभवी गुप्ता, आरोही रत्नाकर, अनादि सोनी, अमोदनी जैन, कणर्वीर सिंग राजपूत, रिदिप्ता चांदुरकर, नैना भारती ने सुंदर नृत्य प्रस्तुत किया।

*नव चाणक्य केसरी*
*स्थानीय संपादक*
*संजय औरंगाबादकर*