कल मनाया जाएगा माटी के लाल का जन्मदिन… पढ़ें उनके जीवन का संक्षिप्त परिचय….

इस वर्ष भी अमर शहीद मेजर अमित ठेंगे के निज निवास, नये जैन मंदिर के पास गुलाबरा में सुबह 9 बजे आयोजित किया जाएगा। जिसमें कलेक्टर सौरभ कुमार सुमन, एस.पी. विवेक अग्रवाल एवं जिला सैनिक कल्याण अधिकारी श्रीमती जया जेवियर सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित होंगे।

स्टेड डेस्क/छिंदवाड़ा- छिंदवाड़ा की माटी के लाल अमर शहीद मेजर अमित कुमार ठेंगे का जन्म 19 अप्रैल 1982 को मधुकर राव ठेंगे एवं श्रीमती लता ठेंगे के प्रथम पुत्र के रूप में हुआ। छिंदवाड़ा में विद्या निकेतन शाला से हाई स्कूल एवं उत्कृष्ट विद्यालय से हायर सेकेण्ड्री की परीक्षा उत्तीर्ण कर आगे की पढ़ाई के लिए वे भोपाल गए।

वहां एल.एन.सी.टी कॉलेज से सन 2004 में उन्होंने इंजीनियरिंग की उपाधि प्राप्त की, इसके बाद बेंगलुरु की एक अंतरराष्ट्रीय कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में वे अपनी सेवाएं देने लगे। उनमें बचपन से ही देश प्रेम, समर्पण और सेवा भाव जैसे गुण विद्यमान थे। शाला में राष्ट्रीय त्यौहारों के बाद जब सारे बच्चे झण्डों को इधर उधर बिखरा छोड़ जाते तो, नन्हे अमित उन्हें इकट्ठा कर अपने प्राचार्य को देते, “नन्हा-मुन्ना राही हूँ देश का सिपाही हूँ, उनका पसंदीदा गीत था” जिसे वे बड़े चाव से गाते। अन्याय के खिलाफ़ आवाज़ उठाते हुए उन्होंने निडर होकर इंजीनियरिंग के प्रथम वर्ष में रैगिंग के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई। उन्हें धन, समृद्धि और प्रतिष्ठा से अधिक मातृभूमि की सेवा प्रिय थी. शायद इसी कारण वे भारतीय सेना में भर्ती होने हेतु प्रयासरत रहे, उनका यह सपना पूरा हुआ और जून 2007 में वे भारतीय सेना का हिस्सा बन गए।

2009 में वे कैप्टन जैसे उत्तरदायित्वपूर्ण पद पर प्रतिष्ठित हुए और उनकी कार्यशैली एवं व्यक्तित्व को देखते हुए 2010 में उन्हें पदोन्नत कर मेजर बना दिया गया। भारतीय सेना ने कश्मीर के पुंछ सेक्टर की मेंढर तहसील क्षेत्र के बैरीरख जंगल में आतंकवादियों को ढूंढने के लिए सर्च ऑपरेशन शुरू किया, मेजर अमित इस ऑपरेशन का अभिन्न अंग थे। 13 जुलाई 2010 को “दि सीक एण्ड डिस्ट्रॉय” ऑपरेशन के अंतर्गत मेजर अमित अपने साथी जवानों के साथ आतंकियों को ढूंढने निकल पड़े। इसी दौरान हुई मुठभेड़ में कर्नल विप्लव नाथ एवं मेजर अमित ठेंगे ने शहादत पाई। सेना मैडल से सम्मानित मेजर अमित ठेंगे के इस बलिदान ने कई युवकों में देशभक्ति का संचार किया। उनकी कम समय में कदम दर कदम सफलता यह साबित करती है, कि अंदर का हौसला और विश्वास ही हमें मंजिल के करीब ले जाता है।

उन्हीं की प्रेरणा से उनका परिवार शहीद मेजर अमित ठेंगे स्मृति समिति एवं मेजर अमित एज्युकेशन सोसाइटी के माध्यम से समाज सेवा का कार्य कर रहा है। उनकी वीरता और बलिदान को याद करते हुए प्रतिवर्ष 19 अप्रैल को श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाता है।

नव चाणक्य केसरी
संजय औरंगाबादकर
स्थानीय संपादक

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