आईएएस अधिकारियों को अदालत के आदेशों का पालन नहीं करने पर, उसके परिणामों का सामना करना चाहिए-SC

सेंट्रल डेस्क-

मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने अवमानना ​​के मामले में पेश होने में विफल रहने के बाद न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण (नोएडा) की मुख्य कार्यकारी अधिकारी रितु माहेश्वरी के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा जारी गैर-जमानती वारंट पर रोक लगा दी है. सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना की अगुवाई वाली एक पीठ ने माहेश्वरी को तत्काल राहत देने से इंकार किया और कहा कि आईएएस अधिकारियों को अदालत के आदेशों का पालन नहीं करने पर उसके परिणामों का सामना करना चाहिए…

कल सीजेआई ने इस मामले में कहा था,- आप एक आईएएस अधिकारी हैं, आप नियम जानते हैं। हर दिन हम देखते हैं कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेशों का उल्लंघन होता है. यह नियमित है, हर रोज एक अधिकारी को आना होगा और अनुमति लेनी होगी… यह क्या है…? आप अदालत के आदेशों का सम्मान नहीं करते… यदि आप हाईकोर्ट के आदेशों का पालन नहीं करते हैं, तो आपको इसके परिणामों का सामना करना पड़ेगा… आज सीनियर एडवोकेट मुकुल रोहतगी ने सीजेआई के सामने फिर से मामले का जिक्र किया, उन्होंने कहा कि महिला अधिकारी हाईकोर्ट पहुंची थीं, लेकिन देर हो गई… उन्होने कहा यह एक बड़ा मामला है जहां महिला अधिकारी इलाहाबाद हाईकोर्ट में पेश हुई, उनके वकील ने पास ओवर मांगा लेकिन एचसी ने उन्हें पेश होने और हिरासत में रखने के लिए आदेश जारी किया… CJI ने कहा, “कल सूचीबद्ध करें, आदेश पर रोक लगाई जाती है… इलाहाबाद हाईकोर्ट ने गुरुवार को नोएडा सीईओ और आईएएस अधिकारी रितु माहेश्वरी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट जारी किया था. रितु माहेश्वरी भूमि अधिग्रहण से संबंधित अवमानना ​​​​मामले में अदालत में पेश नहीं होने के बाद अदालत ने यह वारंट जारी किया था… जस्टिस सरल श्रीवास्तव की खंडपीठ ने पुलिस को उन्हें गिरफ्तार करने और 13 मई को अगली सुनवाई के लिए अदालत में पेश करने का निर्देश दिए थे…

ये है मामला : यह आदेश मनोरमा कुच्छल और एक अन्य व्यक्ति द्वारा दायर अवमानना ​​याचिका में पारित किया गया है… याचिकर्ता का दावा है कि उनकी भूमि को वर्ष 1990 में नोएडा द्वारा कानून में अपेक्षित किसी भी प्रक्रिया का पालन किए बिना अधिग्रहित किया गया था। अधिग्रहण को चुनौती देते हुए उन्होंने एक रिट याचिका दायर करके हाईकोर्ट का रुख किया था, इलाहाबाद हाईकोर्ट द्वारा 2016 में उनकी रिट याचिका को अनुमति दी थी और भूमि अधिग्रहण अधिसूचना को रद्द किया था… याचिकाकर्ताओं ने वर्तमान अवमानना ​​​​याचिका दायर की और आईएएस अधिकारी रितु माहेश्वरी को नोएडा के सीईओ होने के नाते अवमानना ​​​​मामले में पार्टी बनाया. 2 अप्रैल, 2022 को, IAS अधिकारी रितु माहेश्वरी को अदालत ने 5 मई, 2022 को अदालत के समक्ष उपस्थित रहने के लिए कहा गया था, इधर जब न्यायालय ने 5 मई को मामले को उठाया तो, न्यायालय को सूचित किया गया कि वह सुबह 10:30 बजे प्रयागराज के लिए फ्लाइट लेने वाली हैं….

इस पर न्यायालय ने उनके आचरण की निंदा करते हुए टिप्पणी की:- उन्हें यहां सुबह 10:00 बजे होना चाहिए था, इसलिए कोर्ट का कामकाज शुरू होने के बाद कोर्ट सीईओ, नोएडा के फ्लाइट लेने के आचरण को स्वीकार नहीं कर सकता. वे यह सोचती हैं कि कोर्ट उनकी प्रतीक्षा करेगा और उसके बाद मामले को उठाएगा. .. सीईओ का यह आचरण निंदनीय है और न्यायालयों की अवमानना ​​के समान है, क्योंकि उन्हें रिट कोर्ट द्वारा पारित एक आदेश का पालन न करने के लिए अवमानना ​​कार्यवाही में बुलाया गया है…. रिट कोर्ट के आदेश का पालन नहीं किया गया है और इस तथ्य को ध्यान में रखते हुए जब कोर्ट ने सीईओ नोएडा को पेश होने के लिए आदेश पारित किया है तो अदालत का कामकाज के 10:00 बजे शुरू होने पर अदालत में उनके उपस्थित होने की उम्मीद थी… बल्कि उन्होंने दिल्ली से सुबह 10:30 बजे जानबूझ कर इस उम्मीद के साथ फ्लाइट लेने का फैसला किया कि अदालत इस मामले को उनकी सुविधा के अनुसार उठाएगी…..