इस विवाद की पत्रकारिता से अखबारों और चैनलों को बचना होगा: आज के युग में डिजिटल मध्यम हावी – डॉ द्विवेदी

स्टेट डेस्क/छिंदवाड़ा- हिंदी दिवस पर छिंदवाड़ा प्रेस एसोसिएशन के पत्रकार परिचर्चा के दौरान माखनलाल चतुर्वेदी और राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय की प्रोफेसर डॉक्टर संजय द्विवेदी ने पत्रकारों से चर्चा के दौरान बताया कि आज के युग में डिजिटल माध्यम हावी है लेकिन सूचना और समाचार में अंतर समझना जनता और पत्रकारों को जरूरी है उन्होंने बताया कि सूचना कोई भी दे सकता है लेकिन वह कितनी सार्थक और सही है यह नहीं कहा जा सकता लेकिन अगर कोई पत्रकारिता संस्थान या डिजिटल मीडिया जो समाचार के प्रति उत्तरदाई है उसकी खबर को ही सत्य परख माना जा सकता है इसलिए उन्होंने कहा कि सूचना देने वाला मतलब मुखबारी के समान जैसा है और पुलिस के समान उन्होंने मुख्य अखबार और डिजिटल मीडिया को बताया सूचनाओं पर विश्वास नहीं किया जा सकता सूचना सत्य और असत्य दोनों हो सकती है लेकिन खबर तथ्य परक ही हो सकती है आज के दौर में वायरल का योग चल रहा है एक कोई भी सूचना वायरल होती है लोग उसे फॉरवर्ड करते हैं लेकिन अगर कोई पत्रकार उसे खबर को लिखेगा तो पहले उसकी तह तक जाएगा और सच्चाई अपने डिजिटल माध्यम पर पेश करेगा।

आचार्य प्रो. द्विवेदी ने आगे कहा कि पत्रकारिता में तार्किकता और संवाद खत्म होते जा रहा है। विवादों वाली पत्रकारिता हावी होती जा रही है। इस असंवाद और विवाद की स्थिति से बचने की जरूरत है तभी हम पत्रकारिता की सार्थकता को बनाए रख सकते है। मौजूदा हालात में ये दोनों हावी हो रहे हैं इसीलिए सकारात्मक पत्रकारिता गायब होती जा रही है। यह बात माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता संस्थान में प्रोफेसर डा संजय द्विवेदी ने कही। वे शनिवार को छिंदवाड़ा में जिला प्रेस एसोसिएशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे। परासिया रोड स्थित आईपीएस कालेज में दोपहर को हुए कार्यक्रम में प्रो द्विवेदी ने डिजिटल समय में हिंदी पत्रकारिता की चुनौती विषय पर अपनी बात रखते हुए कहा कि विषय उससे जुड़े उससे जुड़े दोनों पक्षों में संवाद होना जरूरी है संवाद जोड़ने का काम करते हैं।

संवाद जीवंतता पैदा करते है। हमारी परंपरा ही गुरू-शिष्य के बीच संवाद की शास्त्रार्थ की रही है। लेकिन अब प्रश्न करना और उसी के अनुसार उत्तर देना खत्म हो गया है।वर्तमान में चैनलों पर होने वाली डिबेट्स इसका उदाहरण है। वहां संवाद नहीं विवाद हो रहा है। सकारात्मकता गायब हो गई है। इस विवाद की पत्रकारिता से अखबारों, चैनलों को बचना होगा तभी हम इसके मापदंडों को सही तोर पर बचाने में कामयाब हो सकते हैं।

प्रो द्विवेदी ने कहा कि मीडिया का काम विश्वसनीय साहित्य की तरह होना चाहिए क्योंकि पत्रकारिता में सबसे महत्वपूर्ण विश्वसनीयता ही है।पश्चिमी मीडिया भारत की स्थिति हमेशा बिगाड़ने में लगा रहा है। भारत कैसे सशक्त रह सकता है, कैसे विकसित हो सकता है कैसे सृदृढ़ हो सकता है यह सोचना होगा और यह भी विश्व में शांति चाहिए तो भारत का विकसित होना जरूरी है।हिंदी दिवस पर भाषा पर बात करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय भाषाओं को साथ में रहकर हिंदी के लिए लड़ने की जरूरत है। कार्यक्रम में जिला कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ ओक्टे भी प्रमुख रूप से मौजूद रहे। शुभारंभ दीप प्रज्वलन के साथ हुआ। नन्ही बालिकाओं अमिशि राय, आराधना सूर्यवंशी और श्रेया मालवी ने सरस्वती वंदना प्रस्तुतकी। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जिले भर से आए पत्रकार साथी उपस्थित रहे एसोसिएशन के पदाधिकारियों अध्यक्ष महेंद्र राय, उपाध्यक्ष मुकेश तिवारी, सचिव अविनाश सिंग, सहसचिव अनंत श्रीवास्तव, कोषाध्यक्ष आनंद सूर्यवंशी ने प्रो द्विवेदी ओर और अन्य गणमान्यों का स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन संदीप चवरे ने किया। आभार सचिव अविनाश सिंह ने माना।

इन्हें किया सम्मानित….
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार, कैलाश पाटनी, गुणेंद्र दुबे, वनराज जाडेजा, केशव साहू, गोविंद चौरसिया, नरेंद्र साहू, नवनीत व्यास, अशोक चौकसे, मंतोष सिंह और शरद पाठक को सम्मानित किया गया। साहित्यकार अवेधश तिवारी और ओमप्रकाश सोनवंशी को हिंदी दिवस के उपलक्ष्य पर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के समापन पर एसोसिएशन की तरफ से प्रो द्विवेदी को शाल श्रीफल और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।

संजय औरंगाबादकर
9425148353