स्टेट डेस्क/छिंदवाड़ा- बीते सोमवार को 1 से 10 लाख आबादी वाले नगर निगम को मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा सम्मानित किया गया इस सम्मान समारोह में छिंदवाड़ा निगमायुक्त के साथ महापौर विक्रम आहाके को स्वच्छ शहर के खिताब से नवाजा गया तो वही निगम को गार्बेज फ्री जिलों में थ्री स्टार के साथ सम्मानित किया गया । यह निगम आयुक्त , महापौर ओर कर्मचारियों के लिए गौरव की बात है।
लेकिन ग्राउंड जीरो की हकीकत माने तो स्तिथियाँ एकदम विरुद्ध है । वार्ड नं 1 से वार्ड नं 48 तक सभी वार्डो में सफाई कर्मचारियों की कमी की बात, आप पार्षदों की जुबानी सुन सकते है। वही कचरा गाड़ियों का न पहुँचना, डीजल की कमी... यह सुनना आम जनता के लिए कोई नई बात नही है। कागजों पर सफाई के चलते निगम पृस्कृत हो गया..? पर चेहरे देखकर वार्डो में सफाई, यह भी आमबात है । अमूमन सभी 48 वार्डो में पार्षदों के सहायक के रूप में 1 से लेकर 2 दो निजी कर्मचारी लगे हुए है, जिनके कांधो पर पार्षदों ने जिम्मेदारियां सोंप रखी है। इन निजी कर्मचारियों का वेतन कहा से कौन देता है, या इन्हें वेतन निगम द्वारा किया जाता है? यह जानने वाली बात है। सहायकों द्वारा पार्षदों को स्थान विशेष दिखाकर वार्डो की सफाई के बारे में बताकर शाबाशी प्राप्त कर ली जाती है, तो वही निगम में मची अंतर्कलह की खबरे समाचार पत्रों में छपना आम बात है। ऐसे में निगम को मिले हुए पुरुस्कार के साथ न्याय कब होगा...! इस बात से सभी अनभिज्ञ है ।
नव चाणक्य केसरी
स्थानीय संपादक
संजय औरंगाबादकर