स्टेड डेस्क- छिन्दवाड़ा पहुंचे मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने मीडिया से चर्चा में प्रदेश की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होंने खुले शब्दों में कहा संसद चलाना और विधानसभा चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है। विपक्ष से बात करके तालमेल बनाकर बीच का रास्ता ढूंढकर इस बार विधानसभा शुरू से ही चार दिन की ही बुलाई। उससे उनकी नियत समझ सकते है, न नियत साफ थी केवल तीन दिन ही दिया गया। इन तीन दिनों में बाढ़ पीड़ितों की बात, महंगाई का मुद्दा, यूरिया का मुद्दा, कोविड का मुद्दा, बेरोजगारी का मुद्दा की कोई बात न हो, यह प्रयास सरकार ने किया।
सरकार नहीं चाहती थी कि उनकी किसी बात का खुलासा हो। तीन दिन में ही वे अंतरिम बजट पास करने से लेकर अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करना चाह रहे थे। कुल मिलाकर सरकार जनता को गुमराह करने का प्रयास कर रही है। एक दिन तो श्रदांजलि के लिए स्थगित हुई। दूसरे दिन ढाई घण्टे चली। मैंने सवाल किया कि आदिवासी दिवस के अवकाश को क्यों बन्द किया, कोई जवाब नहीं मिला..? आदिवासी तो सम्मान का भूखा है। मेरी सरकार ने आदिवासी ब्लॉक को राशि जारी की थी कि वे इस त्योहार को अच्छी तरह मनाएं। किसी भी ध्यानाकर्षण पर भी स्वीकार नहीं हुए। तो क्या हम सजावट के लिए बैठे हैं और विधानसभा समाप्त हो गई।
ओबीसी रिजर्वेशन का मुद्दा उठाया उस पर भी बात करने को तैयार नहीं हुए। किसान परेशान है। बाढ़ से हजारों लोगों संकट में है। कोरोना पर चर्चा करने को तैयार नहीं है। तो ऐसी सरकार जिसकी आंख बंद है कान बन्द है। इससे उनकी कथनी और करनी साफ होती है।
शिवराज सिंह चौहान और कैलाश विजयवर्गीय के बीच भुट्टा पार्टी की गई थी, इसके सवाल पर पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ ने कहा अगर भुट्टा से एकजुट हो सकते हैं तो फिर लड्डू पार्टी करें , शायद इससे और नजदीक हो जाए।